Moon Rise Tomorrow: रोहिणी नक्षत्र में कब निकलेगा चांद, जानें करवा चौथ व्रत की सभी जानकारी
करवा चौथ का पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल, यह विशेष पर्व 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। करवा चौथ का महत्व विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक है, क्योंकि इस दिन वे अपने पतियों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती हैं।
Main Points
- 1 करवा चौथ का इतिहास
- 2 पूजा का शुभ मुहूर्त
- 3 चांद निकलने का समय
- 4 रोहिणी नक्षत्र का महत्व
- 5 करवा चौथ व्रत की विधि
- 6 सरगी का महत्व और समय
- 7 व्रत के नियम
- 8 पूजा विधि
- 9 चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने की विधि
- 10 चंद्र दर्शन का समय
- 11 इस साल की विशेषताएँ
- 12 रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव
- 13 चांद निकलने में देरी का कारण
- 14 करवा चौथ के दौरान बरतने वाली सावधानियाँ
- 15 करवा चौथ व्रत के फायदे
- 16 करवा चौथ से जुड़े मिथक और मान्यताएँ
- 17 आम गलतफहमियाँ
- 18 धार्मिक मान्यताएँ
- 19 करवा चौथ के बाद का आहार
- 20 करवा चौथ पर रोमांटिक उपहार
करवा चौथ का इतिहास
करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में एक प्राचीन परंपरा है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को इस व्रत के महत्व के बारे में बताया था, जबकि भगवान शिव ने माता पार्वती को इसकी विधि सिखाई थी। इस दिन महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं और अपने पति के लिए उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:46 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4:16 बजे होगा। पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 से 12:28 बजे तक और विजय मुहूर्त दोपहर 1:59 से 2:45 बजे तक रहेगा.
चांद निकलने का समय
इस साल चंद्रमा का उदय शाम 7:54 बजे होगा। महिलाएं इस समय चंद्रमा की पूजा करती हैं और उसके बाद अपने उपवास को खोलती हैं.
पटना रात 07:29
लखनऊ रात 07:42
कानपुर रात 07:47
प्रयागराज रात 07:42
दिल्ली रात 07:53
नोएडा रात 07:52
मुंबई रात 08:36
कोलकाता रात 07:22
रोहिणी नक्षत्र का महत्व
रोहिणी नक्षत्र को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसे समृद्धि और धन का प्रतीक माना जाता है, इसलिए करवा चौथ पर इसका प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है।
करवा चौथ व्रत की विधि
करवा चौथ का व्रत विधिपूर्वक रखने के लिए निम्नलिखित विधियों का पालन करें:
सरगी का महत्व और समय
सरगी वह भोजन होता है जो सास अपनी बहू को देती हैं। इसे सुबह जल्दी खाने से दिनभर ऊर्जा मिलती है। सरगी में हल्का और पौष्टिक भोजन होना चाहिए, ताकि दिनभर प्यास न लगे.
व्रत के नियम
- पूरे दिन निर्जला उपवास रखें।
- चंद्रमा के दर्शन करने से पहले जल ग्रहण नहीं करें।
- इस दिन किसी भी प्रकार का विवाद न करें।
पूजा विधि
- स्नान: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- विधिविधान: एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें।
- पूजा सामग्री: धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर आदि एक थाली में रखें।
- कथा सुनें: करवा चौथ की कथा सुनें या पढ़ें।
- चंद्र दर्शन: चंद्रमा निकलने पर छलनी से देखें और अर्घ्य दें।
चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने की विधि
चंद्रमा निकलने के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं और फिर अर्घ्य देती हैं। इसके बाद अपने पति का चेहरा भी उसी छलनी से देखती हैं।
चंद्र दर्शन का समय
चंद्र दर्शन का समय शाम 7:54 बजे होगा।
इस साल की विशेषताएँ
रोहिणी नक्षत्र का प्रभाव
इस साल रोहिणी नक्षत्र में करवा चौथ मनाने से विशेष फल मिलते हैं। यह नक्षत्र समृद्धि और सुख-शांति लाने वाला माना जाता है।
चांद निकलने में देरी का कारण
कभी-कभी मौसम या अन्य कारणों से चंद्रमा निकलने में देरी हो सकती है। इसलिए धैर्य रखना आवश्यक है।
करवा चौथ के दौरान बरतने वाली सावधानियाँ
- पूरे दिन निर्जला रहना चाहिए।
- किसी भी प्रकार का झगड़ा या विवाद नहीं करना चाहिए।
- पूजा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
करवा चौथ व्रत के फायदे
इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बढ़ती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
करवा चौथ से जुड़े मिथक और मान्यताएँ
आम गलतफहमियाँ
कुछ लोग मानते हैं कि केवल महिलाएं ही इस व्रत को रख सकती हैं, जबकि पति भी अपनी पत्नी की लंबी उम्र के लिए उपवास रख सकते हैं।
धार्मिक मान्यताएँ
इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में खुशियाँ बनी रहती हैं।
करवा चौथ के बाद का आहार
व्रत खोलने के बाद हल्का भोजन करना चाहिए, जिसमें फल, दूध या अन्य पौष्टिक चीजें शामिल होनी चाहिए।
करवा चौथ पर रोमांटिक उपहार
पति-पत्नि एक-दूसरे को इस अवसर पर रोमांटिक उपहार देकर अपने रिश्ते को और मजबूत बना सकते हैं।